5 लाख में खरीदकर 30 लाख में किडनी बेचने वाले डॉक्टर गिरफ्तार, यथार्थ अस्पताल से जुड़े तार

5 लाख में खरीदकर 30 लाख में किडनी बेचने वाले डॉक्टर गिरफ्तार, यथार्थ अस्पताल से जुड़े तार

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने एक ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट के बारे में जानकारी दी है. ऑर्गन ट्रांसप्लांट में किसी एक व्यक्ति के शरीर से किसी अंग को निकालकर किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में लगाया जाता है. हाल के दिनों में पुलिस ने दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल के सीनियर डॉक्टर को गिरफ्तार (doctor arrested in kidney racket) किया था. पुलिस ने बताया कि वो कथित तौर पर बांग्लादेश और भारत के इस गिरोह से जुड़ी थीं.

मिली जानकारी के मुताबिक, इस टीम में जिले के एडीएम एफ/आर, सीएमओ, डीसीपी, जीआईएमएस हॉस्पिटल के डॉक्टर और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल शामिल हैं। इस रैकेट के तार जिले के कई अस्पतालों से जुड़े हुए दिखाई दिए थे। अब तक अंग प्रत्यारोपण के सबसे ज्यादा ऑपरेशन यथार्थ अस्पताल में हुए हैं। इसलिए बीते मंगलवार को यथार्थ अस्पताल बिसरख हॉस्पिटल में 3 घंटे पूछताछ की गई।

मिली जानकारी के मुताबिक, डोनर और रिसीवर से संबंधित अनुमति की जांच, रजिस्ट्रेशन की जांच, फर्जी डॉक्यूमेंट्स संबंधित जांच, हॉस्पिटल की मिलीभगत को लेकर जांच की गई है।

किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. डी विजया राजकुमारी अपने साथ दिल्ली से छह सदस्यों की टीम लेकर किडनी मरीजों के ट्रांसप्लांट के लिए नोएडा एक्सटेंशन स्थित यथार्थ हॉस्पिटल में जाती थीं। उन्होंने सभी ट्रांसप्लांट यथार्थ अस्पताल में ही किए थे। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किए गए अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट के सात आरोपियों से पूछताछ में यह जानकारी सामने आई है।

पूछताछ में पता चला है कि डॉ. डी विजया की टीम में उनके निजी सहायक व कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य होते थे, जिनके पास मरीजों के बारे में पूरी जानकारी होती थी। ऑपरेशन में यथार्थ के नर्सिंग स्टाफ का भी सहयोग लिया जाता था। पुलिस डी. विजया की टीम के दो सदस्य मोहम्मद शारिक व विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन टीम में शामिल चार अन्य से भी पूछताछ कर पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उन्हें इस बात की जानकारी थी या नहीं कि डॉक्टर विजया किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चलाने वाले एक गिरोह के लिए नियम कानून को ताक पर रखकर काम कर रहीं हैं। इनकी संलिप्तता का पता चलने पर चारों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

पुलिस अधिकारी का कहना है कि प्रथम दृष्टया जांच के बाद रैकेट के सरगना व साजिश में शामिल आरोपी समेत डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है। चेन्नई की रहने वाली जानी मानी किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. डी विजया राजकुमारी किसी भी अस्पताल से स्थायी तौर पर जुड़कर प्रैक्टिस नहीं करना चाहतीं थीं। डीसीपी क्राइम ब्रांच अमित गोयल का कहना है कि किडनी रैकेट में अपोलो व यथार्थ अस्पताल की भूमिका की जांच की जा रही है। पुलिस ने यथार्थ के मानव अंग प्रत्यारोपण अप्रूवल कमेटी के सदस्यों व चेयरमैन से पूछताछ के लिए उन्हें नोटिस भेजा है। पुलिस अधिकारी का कहना हे कि हर अस्पताल में मानव अंग प्रत्यारोपण कमेटी होती है, जिसमें सेवानिवृत्त डॉक्टर, अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर व एनजीओ आदि के कर्मचारी सदस्य होते हैं।

15 अन्य किडनी दानदाता व प्राप्तकर्ता के बारे में पता लगाया जा रहा है। वे भी बांग्लादेशी हैं और इलाज कराने के बाद वापस अपने देश लौट चुके हैं। पुलिस का यह भी कहना है कि बांग्लादेश में किडनी ट्रांसप्लांट के बेहतर इलाज की सुविधा नहीं है इसलिए वहां के नागरिक सस्ता व बेहतर इलाज कराने दिल्ली आते हैं। पुलिस का कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा बांग्लादेश में भी है, लेकिन वहां के इलाज का सफलता दर बहुत कम है।

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