शाहबेरी आखिर जिम्मेदार कौन ? प्राधिकरण व पुलिस के संरक्षण में बनती रही मौत की इमारतें ।

शाहबेरी आखिर जिम्मेदार कौन ? प्राधिकरण व पुलिस के संरक्षण में बनती रही मौत की इमारतें ।

18 जुलाई 2018 को तेज बारिश में शाहबेरी की एक इमारत गिर गई. उस इमारत के मलबे में दबकर 9 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद जांच करने पर पता चला कि इस इलाके की सारी बिल्डिंग्स अवैध हैं और उसके बाद अथॉरिटी ने यहां पर हर तरह के कंस्ट्रक्शन पर पाबंदी लगा दी. उसी दिन से यहां के लोगों के नसीब पर भी ताला लग गया. अब ना तो लोग अपने फ्लैट छोड़ पा रहे हैं. ना रह पा रहे,

हादसे के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर दोषी बिल्डरों पर कार्रवाई की गई थी, 12 केस में गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई कर करोड़ों की कीमत के 144 फ्लैट और संपत्ति जब्त की गई। इसके बावजूद शाहबेरी में खड़े 1400 से अधिक अवैध भवनों में हादसे का खतरा आज भी मंडरा रहा है।शाहबेरी के फ्लैट खरीदारों के मुताबिक अवैध भवनों के लिए जिम्मेदार अफसरों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। आरोप है कि इसी वजह से यहां आज भी अवैध निर्माण जारी है। रोक के बावजूद भवनों की रजिस्ट्री की जा रही है और इन पर बैंक ऋण भी दिए जा रहे हैं।

मामले में कार्रवाई नहीं होता देख कई खरीदारों ने बैंक की किस्तें देना बंद कर दिया है। इससे राजस्व को लाखों की क्षति पहुंच रही है।खरीदारों के मुताबिक ग्रेनो प्राधिकरण क्षेत्र में अतिक्रमण करना और अवैध निर्माण करना आसान नहीं है, प्राधिकरण की टीम कर्मचारी और अधिकारी तत्काल ऐसे लोगों पर कार्रवाई करती है। इसके बावजूद शाहबेरी में बिल्डर प्राधिकरण से अनुमति बताकर प्रचार करते रहे और भोले भाले लोगों को जाल में फंसाकर अवैध भवन में बनाए गए फ्लैटों की बिक्री करते रहे। इसके बावजूद उस दौरान तैनात रहे अधिकारियों को इसकी भनक नहीं लगी।17 जुलाई को हादसे में 9 लोगों की जान जाने के बाद मुख्यमंत्री ने उस दौरान तैनात रहे अधिकारियों की भी सूची तैयार कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। स्थानीय अधिकारियों ने इस सूची को आला अधिकारियों को भेजने की जानकारी दी थी लेकिन आज तक उन अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।शत्रु संपत्ति और धार्मिक संस्थानों की भूमि को भी नहीं बख्शाशत्रु भूमि की खरीद फरोख्त प्रतिबंधित है।

यह वह भूमि है, जो देश के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान गए लोगों की थी। इस पर सरकार का अधिकार होता है। खरीदारों के मुताबिक, शाहबेरी में लगभग 2.3190 हेक्टेयर शत्रु और 28.737 हेक्टेयर धार्मिक संस्थानों की भूमि की न केवल खरीद-फरोख्त की गई बल्कि इनकी रजिस्ट्री की गई और इन पर ऋण भी दिए गए।फ्लैट खरीदारों को न्याय की दरकारखरीदार सचिन राघव और अभिनव खरे ने बताया कि वर्ष 2016 से अधिकारियों के गठजोड़ से अवैध निर्माण का खेल शुरू हुआ।

सचिन और अभिनव समेत अन्य खरीदार पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और सभी दोषियों पर कार्रवाई के लिए कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन आज तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दोषी अफसर व बैंक कर्मियों पर शिकंजा नहीं कसा गया। कई खरीदारों ने बैंक किस्तें रोक दी है। अधिकारियों ने भी बात करना बंद कर दिया है। पीड़ितों की शिकायत पर कोई केस दर्ज नहीं किया जा रहा है। प्राधिकरण की शिकायत पर अब हल्की धाराएं लगाकर केस दर्ज किए जा रहे हैं।

जनप्रतिनिधि भी इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे।शाहबेरी में अवैध निर्माण करने वालों पर कई केस दर्ज किए गए। इनमें अधिकांश में चार्जशीट लगा दी गई। जिन केस में हाईकोर्ट से स्थगनादेश है। केवल उन्हीं केस में चार्जशीट नहीं लगी है। 12 केस गैंगस्टर के दर्ज कर 144 फ्लैट जब्त किए गए हैं। दो बिल्डरों पर रासुका लगाई गई। अन्य आरोपियों की संपत्ति जब्त करने के लिए सूची तैयार की जा रही है।- योगेंद्र सिंह, एसीपी, बिसरख

फ्लैट बायर्स की संस्था नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान ने बताया कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने अपनी जमीन पर बिल्डिंग खड़ी होते देख आंखें मूंद ली और हजारों फ्लेट खरीददारों ने अपने जीवन भर की कमाई के लाखों रुपए एक अदद जिंदगी के सपने घर पर लुटा दिए सारी गलती प्राधिकरण की है- अन्नू खान अध्यक्ष नेफोमा

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