सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की डिफॉल्ट जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है।

सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की डिफॉल्ट जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है।

नई दिल्ली सुपरटेक के चेयरमैन आर के अरोड़ा को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने धनशोधन मामले में सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की डिफॉल्ट जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है।

पीठ ने चिकित्सा आधार पर अरोड़ा की अंतरिम जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका का भी निपटारा कर दिया है। पीठ ने कहा कि उनकी अंतरिम जमानत की अवधि कल खत्म हो रही है। डिफॉल्ट जमानत सीआरपीसी की धारा 7(2) में निहित है, जिसमें बताया गया है कि जब किसी आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है और हिरासत में लिया जाता है, तो जांच एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर पूरी होनी चाहिए, अन्यथा आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा। पीठ ने अरोड़ा द्वारा उनकी नियमित जमानत को खारिज करने को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर प्रतिक्रिया मांगी थी।

आरके अरोड़ा की एक-दो नहीं बल्कि 34 कंपनियां है। रियल एस्टेट के अलावा उन्होंने सिविल एविएशन, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग, प्रिंटिंग, फिल्म्स, हाउसिंग फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन से उनकी कंपनी जुड़ी है। आरके अरोड़ा का कारोबार फ्लैट से लेकर कब्रिस्तान तक फैला है। एक आम आदमी से जाने-माने बिल्डर बनने के सफर की शुरुआत 7 दिसंबर 1995 को हुई। जब उन्होंने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर सुपरटेक की नींव रखी। देखते ही देखने उन्होंने 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। दिल्ली, मेरठ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में उन्होंने कई प्रोजेक्ट्स शुरू कर दिया।

अरोड़ा के खिलाफ मामला उन आरोपों से संबंधित है कि सुपरटेक समूह ने निवेशकों (Investors) और ग्राहकों के धन का दुरुपयोग किया। 670 घर खरीदारों से 164 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में सुपरटेक और उसकी समूह कंपनियों के खिलाफ दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस में दो दर्जन से अधिक FIR दर्ज की गई हैं। अरोड़ा ने यह तर्क देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया कि उन्हें 27 जून को ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्हें उनकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में बताया नहीं गया।

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