घोटाला जिलाधिकारी गौतम बुध नगर खुलासा पार्ट – 1, सैकड़ों करोड़ का क्या है घोटाला ? कौन कौन है इसके सरगना ? क्या है पूरा खेल ? जानिए प्रोफेसर अरविंद सिंह के इस लेख मे। क्या होता है फ्लैट खरीदारो का वसूली प्रमाण पत्र-
जैसा हम सभी जानते है कि गौतम बुद्ध नगर के तीनो प्राधिकरणों नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण द्वारा आवंटित ग्रुप हाउसिंग जमीन पर सैकड़ों बिल्डरो द्वारा लाखो फ्लैटो का निर्माण किया और बेचा । इनमे से हजारों फ्लैट खरीदार वर्षो से कब्जा न मिलने के कारण मा. रेरा न्यायालय मे अपील की जिस पर मा. रेरा ने खरीदारो के पक्ष मे फैसला देते हुए बिल्डरो को ब्याज सहित पूरे पैसे वापस देने के आदेश दिए। बिल्डरो द्वारा पैसे न वापस करने पर मा. रेरा ने जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर को भू राजस्व वसूली अधिनियम (संशोधित) 2016 उ.प्र. के तहत हजारो की संख्या मे वसूली प्रमाण पत्र जारी किए। यह वसूली प्रमाण पत्र वैसा ही वसूली प्रमाण पत्र होता है जैसा कि उ प्र सरकार एक आम किसान या आम जनता से बकाए की वसूली करती है। बस अंतर यह है कि इस वसूली का पैसा सरकार को न जाकर पीड़ित फ्लैट खरीदार के खाते मे जाएगा। अब सोचिए हमारे आपके उपर सरकार का बकाया तो जिलाधिकारी आपके साथ कैसा व्यवहार करते??
क्या है भू- राजस्व वसूली अधिनियम (संशोधित) 2016-
सामान्य भाषा मे हम इसे लगान कहते है। यानि की भूमि पर जो सरकार टैक्स लगाती है उसे लगान कहते है। इसकी वसूली के कड़े नियम है । यही नियमावली भू-राजस्व वसूली अधिनियम (संशोधित) 2016 है। इस नियमावली की धारा 171-175 मे स्पष्ट है कि बकाया वसूली की पूरी जिम्मेदारी जिला कलेक्टर की होगी जो अपने सहायक कलेक्टर से करवाएगे। मा. रेरा न्यायालय द्वारा इसी कानून के तहत बिल्डरो के विरुद्ध वसूली प्रमाण पत्र जारी करता है।
क्या है घोटाला
एक अनुमान के अनुसार मा. रेरा न्यायालय द्वारा पिछले चार सालों मे (चूंकि जिला प्रशासन मेरे RTI का जवाब नहीं दे रहे है) लगभग 600-800 करोड़ रुपयो की वसूली प्रमाण पत्र जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर को जारी की है। जिसमे सभी बिल्डर शामिल है। जैसे ही वसूली प्रमाण पत्र जिलाधिकारी से उपजिलाधिकारी के पास पहुंचता है घोटाले का खेल शुरू हो जाता है। उपजिलाधिकारी जिलाधिकारी की अवैध स्वीकृति से अपने कुछ खास एंव माहिर अमीन के माध्यम बिल्डर की गिरफ्तारी व कुर्की का दबाव बनाता है जिससे बिल्डर उपजिलाधिकारी से गुप्त मीटिंग करता है और एक मोटी रकम लेकर उनको टिप्स देता है कि आप कैसे लसूली से बचेंगे।
क्या है वसूली से बचाव के तरीके
प्रथम-उपजिलाधिकारी सबसे पहले बिल्डर को कहता है कि उन सभी बैंकों के खातो से पैसे दूसरे किसी सुरक्षित खातो मे ट्रांसफर कर दे। अब जब उपजिलाधिकारी खातो मे पैसे की जांच करेगा तो खातो मे पैसे नही मिलेगे।
द्वितीय- अपने पते बदल लो- उपजिलाधिकारी या अमीन बिल्डर को कहेगा कि या तो आप अपने पते बदल लो या आने से पूर्व सूचित कर देगा जिससे बिल्डर वसूली अधिकारियों के पहुचने से पहल गायब हो जाते है।
तृतीय- उपजिलाधिकारी जानबूझकर बिल्डरो की पूरी सम्पत्तियो का ब्यौरा नही जुटाते जिससे वसूली नही हो पाती।
चतुर्थ- वसूली न होने की दशा मे जिलाधिकारी ई-नीलामी या भू राजस्व विभाग से अनुमति के नाम पर बिल्डर को फायदा पहुंचाते है।
पंचम- अगर बिल्डर किसी तरह से फसता दिखता है तो जिलाधिकारी प्राधिकरण से असहयोग का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लेते है।
इस भाग मे आज इतना ही। अगले भाग मे जिलाधिकारी व उपजिलाधिकारी ने किन किन बिल्डरो को कैसे कैसे फायदा पहुंचाया उसका खुलासा होगा।