समाजवादी पार्टी से रामजी लाल सुमन राज्यसभा में मजबूत करेंगे पीडीए की आवाज़
बेबाकी के साथ अपनी बात कहने और अपनी अलग पहचान बनाये रखने वाले रामजी लाल सुमन समाजवादी मूल्यों और सिद्धांतों की राजनीति के लिए जाने जाते हैं। सेक्युलरिज़्म और सामाजिक न्याय की राजनीति के प्रति समर्पित रामजी लाल सुमन ने संसद में अपने चार बार के कार्यकाल में हमेशा समाज के अक़लियत, दलित, शोषित, वंचित और हाशिये पर रहने वाले लोगों की आवाज़ बुलंद की है।
समाजवादी आंदोलन में रामजी लाल सुमन ने कैप्टन अब्बास अली, राजनारायण, मुलायम सिंह यादव, सोहन वीर सिंह तोमर, सगीर अहमद और राजनाथ शर्मा सरीखे सोशलिस्ट साथियों के साथ काम किया और डॉ राममनोहर लोहिया की विचारधारा से समाज के अंतिम पंक्ति में व्यक्ति को जोड़ा। मूल रूप से गांधी और खादी से प्रेम करने वाले सुमन जी ने अपनी जिंदगी का आधा हिस्सा सड़क पर सत्ता को चुनौती देते, जेल जाते और पुलिस की बर्बरता का शिकार होते बिताया। उनके ऊंचाई छूने की चर्चाएं छात्र राजनीति से ही होने लगी थीं। उनके गृह ज़िले हाथरस में वर्ष 1971 में एमजी पालीटेक्निक के छात्र रवेंद्र और बंटी की हत्या के बाद एक बड़ा आंदोलन हुआ था। उस आंदोलन का नेतृत्व रामजीलाल सुमन ने ही किया था। इस आंदोलन से उनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत हुई।
मूल रूप से सादाबाद के गांव बहरदोई (पहले मथुरा और अब हाथरस ज़िले) के रहने वाले रामजी लाल सुमन 25 जुलाई 1950 को जन्मे। वर्ष 1977 में महज 26 वर्ष की आयु में पहली बार फिरोजाबाद से सांसद बने। वर्ष 1989 में वह जनता दल के सांसद बने और 1999 और 2004 में फिरोजाबाद से ही वह समाजवादी पार्टी से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 1991 में चंद्रशेखर सरकार में वह श्रम और सामाजिक कानून मंत्री बनाये गए। छात्र जीवन में समाजवादी राजनीति से जुड़े रामजीलाल सुमन, 1957 में फ़िरोज़ाबाद से सोशलिस्ट पार्टी के लोक सभा सदस्य रहे और ब्रजराज सिंह के शिष्य थे।
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