शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को समर्पित – ऋतु रत्न

शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को समर्पित – ऋतु रत्न

एक दिशा में जाना था,
पथअदृश्य विलुप्त अंजाना सा ,
मन में शंका अनेक विह्वलता,
कौन उसे सुलझाना था ।
एक हाथ बढा तब स्कंध तक,
उस दीप्ति के समक्ष तब ,
मस्तक झुका उसी क्रम में,
अस्त ज्ञान चक्षु का खुल जाना था,
समक्ष परिपथ अब पहचाना था,
जीवन उज्जवल, मन हर्षल,
मेरे गुरु का जीवन में आ जाना था।

ऋतु रत्न
गौतम बुध नगर

✍

 ऋतु रत्न
गौतम बुध नगर

Entertainment