समाजसेवी डॉक्टर रंजन तोमर की आरटीआई से चौंकाने वाले खुलासे , करोड़ों के जुर्माने की तैयारी नोएडा – औद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर नोएडा हज़ारों उद्योगों और आईटी कंपनियों का गढ़ है जहाँ प्रतिदिन अरबों का कारोबार होता है , ऐसे में संसद से पारित और जल्द लागू होने वाले एक कानून से क्या शहर के उद्योगों को बड़ा झटका लगने वाला है , जिसका पालन न करने से 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना तक आप पर लग सकता है , एक आरटीआई के जवाब में शहर के समाजसेवी डॉ रंजन तोमर को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रोद्योगिक मंत्रालय द्वारा ने यह जानकारी दी है की यह कानून जल्द संसद से पारित हो चुका है , और जल्द ही लागू होने वाला है। इसमें जो भी संस्था चाहे वह इंडस्ट्री हो , गैर सरकारी संगठन हो , आईटी कंपनी हो ,, एमएसएमई हो या आईटी , यहाँ तक की सरकारी विभाग भी इस कानून के दायरे में आएंगे , अस्पतालों और विद्यालयों को विशेष रूप से इसका अनुपालन करना होगा , उल्लंघन करने पर 250 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है की ऐसे कानून से क्या नॉएडा ठप्प हो जायेगा , ऐसे में समाजसेवी श्री रंजन तोमर ने यह कड़े सवाल उठाये हैं और देश की पहली डाटा प्राइवेसी पीएचडी एवं अंत्तराष्ट्रीय स्तर पर पांच वर्षों से डाटा प्राइवेसी पर कार्य कर रही डॉक्टर सुमेधा मदान गंजू से इस विषय में जानकारी मांगी तो कुछ तथ्य सामने आये जिससे कानून के प्रति यह डर कम होता नज़र आया
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023: डिजिटल युग में गोपनीयता की सुरक्षा की अनिवार्यता
भारत में डिजिटल क्रांति के बढ़ते प्रभाव के साथ, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। इंटरनेट और स्मार्टफोन के व्यापक उपयोग से हर नागरिक का डेटा डिजिटल रूप से संग्रहीत और उपयोग किया जा रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 (DPDPA) को लागू किया, जिसका उद्देश्य नागरिकों के डेटा की सुरक्षा करना और डिजिटल दुनिया में विश्वास को बनाए रखना है।
इस कानून की जरूरत क्यों पड़ी?
डिजिटल युग में डेटा नई मुद्रा बन चुका है। बैंकिंग, ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया, और स्वास्थ्य सेवाओं में हर जगह व्यक्तिगत डेटा का उपयोग हो रहा है। हालांकि, डेटा की चोरी, अनधिकृत उपयोग और गोपनीयता उल्लंघन की घटनाएँ तेजी से बढ़ रही थीं। हाल के वर्षों में कई डेटा लीक के मामलों ने इस बात को सिद्ध किया कि भारत में डेटा सुरक्षा के लिए एक मजबूत कानून की आवश्यकता है।
2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में गोपनीयता को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया। इस फैसले ने डेटा संरक्षण कानून की नींव रखी और सरकार को इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।
पहले, डेटा सुरक्षा से संबंधित कोई व्यापक कानून नहीं था। केवल आईटी एक्ट, 2000 के तहत कुछ सीमित प्रावधान थे, जो मौजूदा डिजिटल खतरे और जटिलताओं से निपटने के लिए अपर्याप्त थे। इसलिए, DPDPA 2023 को एक ठोस और व्यापक कानूनी ढांचे के रूप में लाया गया।
इस कानून का उद्देश्य और उपयोग
DPDPA 2023 का उद्देश्य डेटा प्रोसेसिंग को पारदर्शी, सुरक्षित और जवाबदेह बनाना है। इस कानून के तहतडेटा संग्रह एवं उपयोग की पारदर्शिता – कंपनियों को यह बताना होगा कि वे उपयोगकर्ता का डेटा कैसे और क्यों एकत्र कर रही हैं।व्यक्ति की सहमति अनिवार्य – किसी भी व्यक्तिगत डेटा को प्रोसेस करने के लिए व्यक्ति की सहमति आवश्यक होगी।डेटा अधिकारों की सुरक्षा – व्यक्ति को अपना डेटा हटाने, सुधारने और प्रोसेसिंग को रोकने का अधिकार मिलेगा।डेटा उल्लंघन की रिपोर्टिंग – कंपनियों को डेटा लीक की घटनाओं की सूचना समय पर देना होगा।डेटा स्थानांतरण की निगरानी – विदेशी संस्थाओं को डेटा स्थानांतरित करने के लिए नियम बनाए गए हैं।नागरिकों के अधिकार – DPDPA 2023 के तहत नागरिकों को विभिन्न अधिकार दिए गए हैं, जिनमें:
जानने का अधिकार: नागरिक अपने डेटा के उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।सुधार का अधिकार: यदि डेटा गलत या अधूरा है, तो उसे सही कराने का अधिकार मिलेगा।मिटाने का अधिकार: नागरिक अपने व्यक्तिगत डेटा को हटाने का अनुरोध कर सकते हैं।सहमति वापस लेने का अधिकार: यदि नागरिक पहले किसी डेटा प्रोसेसिंग के लिए सहमति दे चुके हैं, तो वे इसे वापस ले सकते हैं।कंपनियों के लिए अनुपालन क्यों आवश्यक है?
1. कानूनी बाध्यता: DPDPA 2023 का पालन करना सभी संगठनों के लिए अनिवार्य है, जो भारत में डेटा प्रोसेस कर रहे हैं। कानून का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है, जो ₹250 करोड़ तक हो सकता है।
2. ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा: जिन कंपनियों के पास मजबूत डेटा सुरक्षा नीतियां होंगी, वे ग्राहकों का विश्वास जीतेंगी और बाजार में अपनी साख मजबूत कर पाएंगी।
3. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सहयोग: वैश्विक कंपनियां उन संगठनों के साथ व्यापार करना पसंद करती हैं जो डेटा सुरक्षा नियमों का पालन करते हैं। DPDPA 2023 अनुपालन से भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नए अवसर मिल सकते हैं।
4. साइबर हमलों से सुरक्षा: उचित डेटा सुरक्षा उपाय अपनाने से कंपनियां साइबर अपराधियों से अपने संवेदनशील डेटा की रक्षा कर सकती हैं और संभावित वित्तीय नुकसान से बच सकती हैं।
निष्कर्ष – अनुपालन करने वालो को डरने की नहीं है ज़रूरतडिजिटल युग में डेटा सुरक्षा सिर्फ कानूनी बाध्यता नहीं, बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी भी है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 न केवल व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि संगठनों को जिम्मेदार और पारदर्शी बनने की दिशा में प्रेरित करता है।भारत के डिजिटल भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए संगठनों को इस कानून के अनुरूप अपनी डेटा नीतियां और सुरक्षा उपायों को अपनाना चाहिए। सरकार, उद्योग जगत और आम जनता के बीच सहयोग से ही डेटा सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सकता है।