अयोध्या राम मंदिर मुकदमे में पक्षकार रहे धर्मदास ने ट्रस्ट के गठन पर सवाल उठा दिया है. उन्होंने ट्रस्ट के गठन मैं हुई अनियमितता को लेकर केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को नोटिस भेजा है.
अयोध्या में राम मंदिर मुकदमे में पक्षकार रहे धर्मदास ने ट्रस्ट के गठन पर सवाल उठा दिया है.अयोध्या. राम की नगरी अयोध्या (Ayodhya) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर-मस्जिद विवाद भले ही समाप्त हो गया हो लेकिन अब केंद्र सरकार (Modi Government) द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmbhumi Teerth Kshetra Trust) को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है. निर्वाणी अखाड़ा के महंत और राम मंदिर मुकदमे में पक्षकार रहे धर्मदास (Dharmadas) ने ट्रस्ट के गठन पर सवाल उठा दिया है. उन्होंने ट्रस्ट के गठन मैं हुई अनियमितता को लेकर केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को नोटिस भेजा है.भगवान को ट्रस्ट में शामिल क्यों नहीं किया? पहले का चढ़ावा कहां गया?
महंत धर्मदास का कहना है कि जब सारी संपत्ति भगवान की है तो भगवान को ट्रस्ट में शामिल क्यों नहीं किया गया? और पूर्व में आए दान और चढ़ावे को क्यों नवगठित ट्रस्ट में प्रदर्शित नहीं किया गया? उनका यह भी आरोप है कि वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में से किसी को ट्रस्ट में जगह क्यों नहीं दी गई? यही नहीं उन्होंने सवाल उठाया कि ट्रस्ट में जिन लोगों को शामिल किया गया है, वह ट्रस्ट का व्यवसाय और व्यापार कर रहे हैं. ऐसे लोगों को ट्रस्ट में कैसे शामिल किया गया? यह ट्रस्ट पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के मंशा के विपरीत है.आपको बता दें कि महंत धर्मदास के गुरु अभिराम दास के समय ही रामलला का प्रकटीकरण हुआ था. इसके बाद उन्हें विवादित ढांचे में मूर्ति रखने के लिए आरोपी बनाया गया था लेकिन प्रकट हुए रामलला की पूजा अर्चना उसी समय से निरंतर चल रही थी.ट्रस्ट को केवल व्यवसाय का केंद्र बनाकर छोड़ामहंत धर्मदास ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस व्यक्ति या जिस संस्था से ट्रस्ट बनवाया है और जो व्यक्ति इसमें अथॉरिटी है, उसको नोटिस दी गई है. यह नोटिस इसलिए दिया है क्योंकि यह राम जन्मभूमि ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप नहीं बना है. इसमें जो आदमी चुन-चुन कर रखे हैं, उनकी हैसियत का कोई प्रमाण नहीं है. वैष्णव संप्रदाय के किसी व्यक्ति को नहीं लिया गया. अयोध्या से किसी को नहीं लिया गया. इस ट्रस्ट को केवल व्यवसाय का केंद्र बनाकर छोड़ दिए हैं इसलिए नोटिस दिया है. उन्होंने कहा कि इन लोगों का कार्य बहुत गलत है, जिस ट्रस्ट को ₹1 देकर दिल्ली में ट्रस्ट बनाया है, वह गलत है.भगवान का जो 8 से 10 करोड़ रुपया पहले से था, उसे नहीं दिखाया
महंत ने कहा कि ट्रस्ट का निर्माण अयोध्या में होना चाहिए था और सभी संपत्ति भगवान की है. मालिक भगवान हैं. भगवान के निमित्त सब कुछ ट्रस्ट में होना चाहिए था. भगवान को रखकर ट्रस्ट बनाना पड़ता है लेकिन ट्रस्ट में ना भगवान है और ना भगवान की संपत्ति का विवरण है. भगवान के ट्रस्ट में जितना पैसा पहले से जमा था, उसका भी खुलासा नहीं किया गया है कि कितना पैसा पहले से जमा है और बाद में कितना पैसा मिलाया जा रहा है.
भगवान का जो 8 से 10 करोड़ रुपया पहले से था, उसको भी नहीं दिखाया गया है. इन लोगों ने नौटंकी करके ट्रस्ट को बनाया है. केवल अपना व्यापार और बिजनेस चलाने के लिए दे दो राम, दिला दो राम वाला हाल किए हैं.11 लाख गांव से चंदा मांगने की क्या जरूरत है?उन्होंने कहा कि 11 लाख गांव में जाकर चंदा मांगा जा रहा है. राम के नाम पर करोड़ों लोगों से आखिर क्यों- किसने आदेश दे दिया चंदा मांगने का? राम जी की तो इतनी संपत्ति है कि जितना बड़ा मंदिर चाहें उतना बन जाएगा. इतना उनका चढ़ावा है तब आप राम जी को भिखमंगा क्यों बना रहे हो? आप जाकर सारे समाज में राम के नाम पर भीख मांग रहे हो. हमने केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को नोटिस भेजा है और 2 महीने में जवाब देने का समय दिया है.