ग्रेटर नोएडा और दिल्ली-एनसीआर में अक्सर यह देखने को मिलता है कि गुर्जर समाज के कुछ युवा अपनी क्षेत्रीय बोली–गुर्जरी–को बोलने में हिचकिचाते हैं। लेकिन इसी बोली ने एक यूट्यूबर की ज़िंदगी बदल दी। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले के रहने वाले मृदुल तिवारी और उनकी बहन प्रगति तिवारी ने गुर्जरी भाषा को अपने करियर का आधार बना लिया। यही वजह है कि आज मृदुल तिवारी बिग बॉस-19 के संभावित प्रतियोगी माने जा रहे हैं।
मूलरूप से इटावा के रहने वाले मृदुल तिवारी के पिता सन 2000 से पहले इटावा छोड़कर ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर कस्बे की एक कॉलोनी में आकर बस थे। मृदुल और उनकी बहन प्रगति ने यहीं के दीप पब्लिक स्कूल, सूरजपुर से पढ़ाई की। स्कूल और आसपास के इलाक़े में अधिकतर परिवार गुर्जर समाज के थे। पढ़ाई के दौरान और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में उनका उठना-बैठना गुर्जर युवाओं के साथ ही रहा। इसी मेलजोल से दोनों भाई-बहन गुर्जरी भाषा और देहाती ठाठ-बाट से गहरे जुड़े।
#यूट्यूब चैनल और गुर्जरी अंदाज़
शुरुआत में जब मृदुल ने अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया तो उनके करीबियों ने बताया कि मृदुल ने सोचा ऐसा कंटेंट बनाना चाहिए जो स्थानीय लोगों से सीधा जुड़ सके। नतीजतन, उन्होंने अपने दोस्तों की तरह गुर्जरी भाषा और देहाती अंदाज़ में कॉमेडी और ड्रामा वाले वीडियो बनाने शुरू किए। यही प्रयोग उनकी किस्मत बदल गया। आज उनके चैनल पर तमाम वीडियो गुर्जरी भाषा में हैं। ज़्यादातर शूटिंग सूरजपुर, लखनावली और आसपास के गांवों में ही की गई।उनके दर्शकों में सबसे बड़ा वर्ग दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी यूपी का गुर्जर समाज है। उनके वीडियो में दिखाई देने वाले किरदार, भाषा और पहनावा गुर्जर समाज की झलक पेश करते हैं, और यही उनकी लोकप्रियता की असली ताक़त बनी।
दोस्तों की अहमियत मृदुल तिवारी ने कई मौक़ों पर कहा है कि वह जो भी बने हैं, उसमें उनके दोस्तों का बड़ा हाथ है। वह कहते भी हैं – “जो कुछ भी हूं, नंदू गुर्जर और बाकी दोस्तों की वजह से हूं।” बिग बॉस के घर में जाने से पहले उन्होंने यह भी बताया कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट अब नंदू गुर्जर ही मैनेज करेंगे।
गुर्जर समाज का साथ गुर्जर समाज की पहचान यही मानी जाती है कि वे अपनी दोस्ती को आख़िरी सांस तक निभाते हैं। यही वजह है कि तिवारी जी को जिताने के लिए जी जान से जुटे हैं।
