जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने रविवार तीन नवंबर, 2024 को दिल्ली के इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में संविधान बचाओ सम्मेलन के दौरान मुस्लिम उलेमाओं के योगदान को जिक्र किया और आजादी के संघर्ष में मुसलमानों की कुर्बानियों पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मुल्क की आजादी में मुसलमान उलेमाओं ने ऐसी शहादत दी है जिसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता. कार्यक्रम में मौलाना मदनी ने कथित फिरकापरस्त ताकतों की आलोचना करते हुए कहा, “ये ताकतें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई को अलग-अलग करना चाहती हैं, लेकिन हम मानते हैं कि ये सभी भाई हैं और भाईचारे को तोड़ने की साजिश रची जा रही है.”
मौलाना मदनी ने कांग्रेस पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस का असली मकसद कभी भी गुलामी की जंजीरों को तोड़ना नहीं था, बल्कि मुस्लिम उलेमाओं ने उसे आजादी की राह पर मोड़ दिया. आजादी के वक्त जमीयत ने मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी से यह गारंटी ली थी कि जब देश आजाद होगा तो वह सेकुलर रहेगा. मौलाना मदनी ने देश में बढ़ रही फिरकापरस्ती पर गहरी चिंता जाहिर की और कहा, “आज जितनी फिरकापरस्ती है उतनी पहले कभी नहीं थी.” उन्होंने कहा, “इस मुल्क में मुसलमानों के लिए एक तरह का जहन्नम बनाया जा रहा है और यह जो हो रहा है, वह मुल्क को आग में झोंकने के लिए हो रहा है.
मौलाना मदनी ने वक्फ बिल पर भी गंभीर चिंता जाहिर की और कहा, “हुकूमत जिन बैसाखियों पर चल रही है, वह इस बिल के जरिए मुसलमानों के खिलाफ जहर घोल रही है.” उनका मानना है कि वक्फ की जमीनों पर कब्जा करने की कोशिशें की जा रही हैं और यह संविधान के खिलाफ है. देश में बढ़ते बुलडोजर एक्शन पर मौलाना मदनी ने कहा, “देश में बुलडोजर से गिरने वाले 95 प्रतिशत मकान मुसलमानों के हैं.” उन्होंने इसे अन्यायपूर्ण बताते हुए सवाल उठाया और कहा, “गलती किसी एक आदमी की होती है, लेकिन पूरा मकान गिरा दिया जाता है जिससे मां-बाप, बीवी-बच्चे बेघर हो जाते हैं.”
