शाहबेरी के पीड़ित खरीदार अभिनव खरे और जीआईसी बैंक मैनेजर की बातचीत में हुए कई नए खुलासे, बैंक मैनेजर ने ये भी कहा कि शाहबेरी में होम लोन के लिए नक्शे की जरूरत ही नहीं है।
बैंक मैनेजर ने ये भी कहा कि शाहबेरी में होम लोन के लिए नक्शे की जरूरत ही नहीं है।
बैंक मैनेजर ने ये भी कहा कि शाहबेरी किसी भी अथॉरिटी के क्षेत्र में नहीं आती।
बैंक मैनेजर ने ये भी बोला कि चुनाव आने वाले हैं इसलिए इस मुद्दे को उछाला जा रहा है, बाद में सब मैनेज हो जाएगा और गारंटी भी ली।
बैंक मैनेजर ने कहा कि हमने होम लोन लीगल और आर्किटेक्ट की रिपोर्ट के आधार पर दिया है लेकिन जब अभिनव ने लीगल और आर्किटेक्ट की रिपोर्ट मांगी तो मैनेजर ने देने से मना कर दिया |
जबकि सच्चाई ये है कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण का गठन 1991 में हुआ था और 21-02-1994 को शाहबेरी ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में आ चुका था | औद्योगिक विकास अधिनियम -1976 की धारा 9 के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र में आने के बाद ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की बिना अनुमति निर्माण नहीं हो सकता था |
29-06-2013 से शाहबेरी में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया लंबित है और भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 4 व् 6 की कार्यवाही हो चुकी है | शाहबेरी के जमीन मालिकों ने भूमि अधिग्रहण रद्द करने के लिए माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में 25 याचिकाएं दाखिल की गई थी जिसमे उत्तर प्रदेश सरकार, कलेक्टर गौतमबुद्ध नगर , विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी पक्षकार हैं , उन याचिकाओं पर दिनांक 16-10-2014 को मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने सभी पक्षकारों को शाहबेरी में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था जो अभी भी लागू है | उक्त सभी तथ्य ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 12-08-2020 को दी गई सूचना व् शाहबेरी में सूचना बोर्ड पर लिखवा दिया है | इस प्रकार :
a) दिनांक 16-10-2014 को मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश ‘यथास्थिति’ के बाद शाहबेरी गांव की जमीन की रजिस्ट्रियां नहीं हो सकती |
b) मा. सर्वोच्च न्यायलय में दाखिल CIVIL APPEAL NO. 8003 OF 2019 जिसका शीर्षक “शिव कुमार बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया व् अन्य हैं ,यह निर्धारित किया गया कि “भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1974 की धारा 4 के बाद खरीद राज्य के विरुद्ध शून्य है|
c) मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दाखिल W.P.(c) 8989 of 2019 जिसका शीर्षक मालती सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व् अन्य हैं , यही निर्धारित किया गया कि “भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1974 की धारा 4 के बाद खरीद राज्य के विरुद्ध शून्य है|
होम लोन के लिए आरबीआई के सर्कुलर के अनुसार :
iii) An Architect appointed by the bank must also certify at various stages of construction of building that the construction of the building is strictly as per sanctioned plan and shall also certify at a particular point of time that the completion certificate of the building issued by the competent authority has been obtained.
B. Housing Loan for purchase of constructed property/built-up property
i) In cases where the applicant approaches the bank/FIs for a credit facility to purchase a built-up house/flat, it should be mandatory for him to declare by way of an affidavit-cum-undertaking that the built-up property has been constructed as per the sanctioned plan and/or building bye-laws and as far as possible has a completion certificate also.
ii) An Architect appointed by the bank must also certify before disbursement of the loan that the built-up property is strictly as per sanctioned plan and/or building bye-laws.
C. No loan should be given in respect of those properties which fall in the category of unauthorized colonies unless and until they have been regularized and development and other charges paid.
अभिनव खरे का कहना है कि बैंकों ने आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करके बिल्डरों से सांठगांठ कर शाहबेरी की जनता को फंसाया है | हमारी 80 खरीदारों की 20 शिकायतें दिए हुए 10 महीने से ज्यादा हो गए लेकिन अभी तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की | पुलिस ने नवंबर 2019 में सभी बैंकों को नोटिस दिए थे और सभी बैंकों से जबाब भी आ गया था जिसमे सब जबाब गुमराह करने वाले और झठे थे, इसके बाबजूद पुलिस ने 7 महीनों में बैंकों पर कोई कार्यवाही नहीं की |
*खरीदारों की मा. मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से गुहार :
खरीदारों की मा. योगी जी से यही प्रार्थना है कि खरीदारों की एफआईआर दर्ज की जाए और खरीदारों और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की दर्ज की जांच किसी ऐसी जांच एजेंसी से कराएं जो की राज्य सरकार के अन्तर्गत न आती हो जैसे कि सीबीआई और ईडी |राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाली कोई भी एजेंसी निष्पक्ष ईमानदारी से सारे तथ्यों के साथ जांच नहीं कर सकती | अवैध निर्माण के समय तैनात रहे जिलाधिकारी, दादरी रजिस्ट्रार , विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के CEO, ACEO, सीनियर मैनेजर, मैनेजर, इंजीनियर आदि तथा नोएडा पुलिस के बिसरख थाना क्षेत्र में तैनात रहे SI, SSI, SHO, CO, SPRA व् SSP पर सख्त कार्यवाही कराते हुए खरीदारों को UP Rehabilation ACT 2013 ले तहत शाहबेरी के अवैध (मौत ) के घरों के बदले सुरक्षित घर देने की कृपा करें |