देश मे दिल दहला देने वाली 11 मौतों का राज, एक मानसिक बीमारी ने पढ़े लिखे परिवार को खत्म कर दिया ।

देश मे दिल दहला देने वाली 11 मौतों का राज, एक मानसिक बीमारी ने पढ़े लिखे परिवार को खत्म कर दिया ।

देश मे दिल दहला देने वाली 11 मौतों का राज, एक मानसिक बीमारी ने पढ़े लिखे परिवार को खत्म कर दिया ।

देश में सामूहिक खुदकुशी की घटनाएं तो बहुत हुई हैं। लेकिन कोई घटना इतनी बड़ी हो जाएगी, ये दिल्ली के बुराड़ी में एक साथ एक ही परिवार के ग्यारह लोगों की मौत से पहले किसी ने नहीं सोचा था। इसकी मोटे तौर पर दो वजहें रहीं। पहला तो एक साथ ग्यारह लोगों की मौत और दूसरा मौत की इतनी अजीब वजह। अभी भी बहुत से लोगों को इस बात पर यकीन नहीं है कि एक साथ इतने लोग सिर्फ़ पूजन अनुष्ठान के चक्कर में जान दे सकते हैं! लेकिन जब किसी मानसिक बीमारी को लोग आस्था समझने लगें, तो उस आस्था के अंधविश्वास बनने में देर नहीं लगती।
घर के बेटे ललित को मानसिक रोग था। शेयर्ड सायकिक डिस्ऑर्डर। (ऐसे मरीज़ अक्सर उन लोगों की नकल करने लगते हैं, जो कभी उनके बेहद प्रिय थे।) ललित अपने पिता के बेहद क़रीब था। उनकी मौत के बाद ललित को ये भान होने लगा कि शायद पिता उस पर आते हैं। उससे बातें करते हैं। वो उनकी आवाज़ में बातें करने लगा। घरवालों को पिता के हवाले से हुक्म देने लगा। घरवालों को भी लगा जैसे सचमुच ललित के पिता भोपाल सिंह की आत्मा अब भी ललित के ज़रिए उनसे बात करती है।
बस, फिर क्या था? जो बीमारी ललित को थी, वो घरवालों को भी लग गई। घरवालों ने ललित की बीमारी को पहचानने के बजाय उसे जाने-अनजाने बढ़ावा देना शुरू कर दिया। इस सिलसिले से निजात तो ख़ैर पहले ही पा जाना चाहिए था। लेकिन जब तक सिलसिले ने नुकसान नहीं पहुंचाया, ना तो घरवालों ने इससे निजात पाने की सोची और ना ही बाहर किसी को इसकी खबर हुई। लेकिन धीरे-धीरे ये सिलसिला ऐसा बढ़ा कि 30 जून की रात पूरे परिवार को ख़त्म कर गया।
इस रोज़ भी ललित के मृत पिता भोपाल सिंह के कथित निर्देश पर पूरा घर एक अनुष्ठान करने में जुटा था। वैसे तो ये अनुष्ठान पिछले छह दिनों से चल रहा था। जिसमें ललित के कहने पर घर में लोग फंदा लगा कर खड़े हो जाते थे और कुछ पूजन अर्चन के बाद नीचे उतर जाते थे। लेकिन सातवें रोज़ इस अनुष्ठान की पूर्णाहूति थी। इस रोज़ यही क्रिया स्टूल पर खड़े होकर दोहरानी थी। और डर, भय से दूर रहने के लिए आंख, मुंह, हाथ सब बांध लेने थे। सबने ऐसा ही किया। कहा गया कि जब अनुष्ठान पूरा हो जाए, तो पिताजी खुद ही उन्हें बचाने आएंगे। लेकिन पूर्णाहूति के लिए ललित और उसकी पत्नी ने सबके स्टूल खिसका दिए। अब एक साथ आठ लोग फंदे में फंस कर छटपटाने लगे। लेकिन ना तो किसी के मुंह से आवाज़ निकली और ना ही कोई खुद को बचा सका। ललित और उसकी बीवी टीना तो ख़ैर सबसे ज़्यादा बीमार थे। सो, उन्होंने भी जल्दी-जल्दी अपनी पूर्णाहूति दी और एक पूरा का पूरा परिवार देखते ही देखते हमेशा के लिए ख़ामोश हो गया।

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